एमएलएम पर आ रहा हैं सरकारी नियंत्रण

भारत सरकार इन दिनों एमएलएम रिलेटेड इन्वेस्टमेंट प्लान को लाइसेंस देने पर विचार कर रही है एवं ऐसी सभी कंपनियों को सेबी के अधीन कर दिया जाएगा। सनद रहे कि अभी तक सेबी का कोई नियामक नहीं है।
यदि यह नई व्यवस्था लागू हुई तो सेबी से लाइसेंस लिए बगैर कलेक्टिव इंवेस्टमेंट एमएलएम स्कीम लॉन्च करने पर 10 साल तक की कैद हो सकती है। यह सबकुछ इसलिए किया जा रहा है ताकि आम जनता को शारदा जैसी कंपनियों के हाथों लुटने से बचाया जा सके।
एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक इसके लिए सरकार प्राइज चिट एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम बैनिंग एक्ट में बड़े पैमाने पर फेरबदल करने जा रही है। मल्टी लेवल मार्केटिंग और कलेक्टिव इंवेस्टमेंट स्कीम को सेबी के दायरे में लाया जाएगा और इनके लिए सेबी से लाइसेंस लेना जरूरी होगा।
बदलावों के बाद गुड्स और सर्विसेज की डायरेक्ट मार्केटिंग मल्टी लेवल मार्केटिंग मानी जाएगी। कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम के लिए भी सेबी का लाइसेंस जरूरी होगा। सदस्यों के जरिए निवेशक बनाए जाने वाली स्कीमों को कलेक्टिव स्कीम माना जाएगा। बिना लाइसेंस के कारोबार करने पर 10 साल तक की कैद के साथ-साथ कुल निवेश रकम का दोगुना जुर्माना लगाया जाएगा।
इसके अलावा सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) को ज्यादा अधिकार दिए जाएंगे। एसएफआईओ को मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कीम और कलेक्टिव इंवेस्टमेंट स्कीम की छानबीन और पुलिस के साथ तालमेल की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
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