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SEBI के अधिकार को और बढाया गया,घोटालेबाज साबधान

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) पोंजी स्कीम चलाने वाले घोटालेबाजों को अब गिरफ्तार करवा सकेगा। बाजार नियामक सेबी संपत्ति की जब्ती और छानबीन करने के अलावा गैरकानूनी तरीके से कमाए गए धन को लौटाने का भी आदेश दे सकेगा। केंद्र सरकार की ओर से बीते हफ्ते जारी प्रतिभूति कानून संशोधन अध्यादेश के जरिये सेबी को नए अधिकारों से लैस किया गया है।सामूहिक निवेश योजनाओं के जरिये लगातार घोटाले पर घोटाले हो रहे थे। सारधा चिट फंड घोटाले के बाद ऐसी पोंजी स्कीमें चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सेबी को सक्षम बनाने की मांग को सरकार ने इस अध्यादेश को लाकर पूरा कर दिया। इसके तहत सेबी को पोंजी स्कीमों व भेदिया कारोबार जैसी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए फोन कॉल रिकॉर्ड हासिल करने, छापेमारी और संपत्ति जब्त करने के अधिकारों से लैस किया गया है।अध्यादेश के तहत सेबी से जुड़े मामलों में तेजी लाने के लिए विशेष अदालतों की स्थापना की जाएगी। कानून में किए गए संशोधनों के तहत नियामक 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जुटाने वाली सभी निवेश योजनाओं का नियमन करेगा। इन अधिकारों के बिना सेबी अभी तक एक शक्तिविहीन नियामक के तौर पर काम कर रहा था।
Source : Mlmharkhabar.com

बंगाल पर निगाहे,Rose Valley समेत अन्य चिट फंड पर सेबी का हामला

शारदा कर्णधार सुदीप्त सेन और उनकी खासमखास देवयानी मुखर्जी को जेल हिरासत में सत्तर दिन बिताये हो गये। चिटफंड पर अंकुश के राज्य और केंद्र सरकारों के कदमों का क्या असर हुआ मालूम ही नहीं पड़ा। बंगाल में सैकड़ों छोटी बड़ी चिटफंड कंपनियों का धंधा बेरोकटोक जारी है जबकि जांच में किसी प्रगति की सूचना नहीं है। सेबी ने पहले सभी चिटफंड कंपनियों को चेतावनी जारी की थी। फिर बाकायदा विज्ञापन के जरिये एमपीएस और रोजवैली में निवेश के खिलाफ आम निवेशकों को अलर्ट भी किया। जिसके जवाब में दोनों कंपनियों ने सफाई दी कि उनका मामला तो अदालत में विचाराधीन है। इसपर सेबी ने चुप्पी साध ली और अब जाकर कहीं बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने रोज वैली होटल्स ऐंड एंटरटेनमेंट्स लिमिटेड को निवेशकों से किसी तरह का अतिरिक्त धन जमा करने पर रोक लगा दी है। यह सामूहिक निवेश योजनाओं के खिलाफ सेबी द्वारा जारी आदेश की ही एक कड़ी है। रोज वैली समूह की कंपनियों पर करीब 20 लाख निवेशकों से 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम जमा कराने का अनुमान है। सेबी ने आज जारी अपने अंतरिम आदेश में कहा कि योजना के तहत जुटाए गए धन को कंपनी कहीं और नहीं लगाएगी और न ही कोई नई योजना लॉन्च करेगी। सेबी ने आदेश में कहा, 'रोज वैली होटल्स बिना पंजीकरण के सामूहिक निवेश योजना चला रही थी। ऐसे में नियामक के पास कंपनी को आगे रकम जुटाने की गतिविधि बंद करने का आदेश देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।’ कंपनी ने 2010 में हॉलिडे सदस्यता योजना पेश की थी जिसके तहत निवेशकों को मासिक किस्तों में हॉलिडे पैकेज देने की बात कही गई थी। किस्त पूरी होने के बाद निवेशक पैकेज का इस्तेमाल कर सकते हैं या ब्याज सहित पैसे वापस ले सकते है।

इसके पहले मंगलवार को सेबी ने कोलकाता की ही एक अन्य कंपनी सुमंगल पर भी पोटेटो बॉन्ड योजना के जरिये धन एकत्रित करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके अलावा 21 जून 2013 को भी सेबी ने अलकेमिस्ट इन्फ्रा रियल्टी के खिलाफ एक आदेश पारित कर निवेशकों से पैसा जमा कराने से संबंधित सभी तरह की योजनाओंं को बंद करने और लोगों को उनका पैसा वापस करने का फरमान सुनाया था।अनुमान के मुताबिक कंपनी ने महज 3 महीने में 1,000 करोड़ रुपये धन एकत्रित किया था। रोज वैली ने अपने बयान में कहा है, 'देश भर में और भी कई कंपनियां हैं जो हॉलिडे सदस्यता योजना के तहत धम जमा कराती हैं और सेबी को ऐसी कंपनियों के खिलाफ भी इसी तरह का आदेश जारी करना चाहिए।Ó रोज वैली समूह के चेयरमैन गौतम कुंडू ने कहा था कि कंपनी ने निवेशकों को 120 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।
Source : mlmharkhabar.com

MLM Movement by all MLM Company

मल्टीलेवल मार्केटिंग के कारोबार से जुड़े कानून पर सरकार के ढुलमुल रवैये से परेशान कारोबारियों ने सरकार को 45 दिन का अल्टीमेटम दिया है। कारोबारियों का कहना कि अगर सरकार इस दिशा में जरूरी कदम नहीं उठाती है तो वो देश भर में आंदोलन करेंगे।
मल्टीलेवल मार्केटिंग सेक्टर के लिए अलग से कानून बनाने की मांग तेज होती जा रही है। दरअसल ये कंपनियां अपने लिए अलग पहचान चाहती है। क्योंकि मौजूदा चिट फंड कानून के तहत पुलिस इनके साथ भी वही बर्ताव कर रही है जो चिट फंड कंपनियों के साथ होता है।
इस इंडस्ट्री से जुड़ संगठन फोरम फॉर डायरेक्ट सेलिंग कंपनी एंड कंज्यूमर्स ऑफ इंडिया (एफडीसीआई) का दावा है कि देश में मल्टीलेवल मार्केटिंग का कारोबार करीब 20,000 करोड़ रुपये सालाना का है। और इस कारोबार में करीब 4,000 कंपनियां और करीब 7 करोड़ डिस्ट्रीब्यूटर्स लगे हैं। अलग कानून नहीं होने की वजह से इन सबको परेशानी हो रही है।
मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनियां भले ही अपने कारोबार के लिए अलग से कानून बनाने की मांग कर रही हो लेकिनसरकार की मंशा नया कानून लाने की बजाए मौजूदा कानून में ही फेरबदल करने की है। एम् एल एम् न्यूज़ पेपर की जानकारी के मुताबिक संसद के मॉनसून सत्र में कई मौजूदा कानूनों में फेरबदल का प्रस्ताव लाया जाएगा जिसमें मल्टीलेवल मार्केटिंग भी शामिल है। प्राइज चिट्स एंड मनी सर्कुलेशन (पीसीएमसी) एक्ट 1978 के तहत फ्रॉड कंपनियों के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज किया जाता है। लेकिन इस कानून के तहत डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों और फ्रॉड कंपनियों के बीच अंतर करना मुश्किल है। ऐसे में सरकार की कोशिश है कि पीसीएमसी एक्ट 1978 में फेरबदल के साथ साथ इन्हें सेबी के दायरे में भी लाया जाए। इस सेक्टर में कानून को प्रभावी बनाने के लिए सरकार बैकिंग रेग्युलेशन एक्ट 1949 में भी बदलाव कर सकती है।
Source: Mlmnewspaper.com

Centarl MLM Rules will coming soon

धोखाधड़ी योजनाओं (ponzi Scheme) से वास्तविक मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनियों को अलग करने के एक उद्देश्य के साथ, कंपनी मामलों और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालयो ने  इस तरह के कारोबार के लिए नियमों का एक स्पष्ट  एवं अलग सेट तैयार करने पर काम शुरू कर दिया है। सचिन पायलट  ने कहा : "हम कानून का दुरूपयोग करने और निवेशकों को धोखा दे रही कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगे, वहीं प्रतिष्ठित डायरेक्ट सेल्लिंग कंपनिया जो की  अच्छा काम कर रही  हैं उनको बढावा देंगे। जो कंपनिया किसी भी किसी भी भारतीय कानून उलंघन नहीं कर रही है। उनको प्रोत्साहन करना चाहिए," कॉर्पोरेट विदेश मंत्री सचिन पायलट यहां एक साक्षात्कार में पीटीआई को बताया. मंत्री जी ने यह बात धोखाधड़ी के आरोपों पर केरल पुलिस द्वारा एमवे इंडिया के प्रमुख अध्यक्ष विलियम एस Pinckney और दो ​​कंपनी के निदेशकों की हाल में की गई गिरफ्तारी पर की। वे बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गये  है, जबकि घटना के असली व्यवसायों और (Multi Level Marketing) बहु स्तरीय विपणन अभियानों की तरह संरचित धोखाधड़ी (Chit Fund News) योजनाओं के माध्यम से निवेशकों को धोखा देने के लिए पंजीकृत कंपनियों के बीच अंतर करने के लिए नियमों का एक स्पष्ट सेट की जरूरत पर जोर दिया। "मेरे मंत्रालय (कॉरपोरेट अफेयर्स) और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय अब इन दिशा निर्देशों (MLM Direct Selling Companies Guideline बहु स्तरीय कंपनियों के लिए) को स्पष्ट करने पर काम कर रहे हैं,
" पायलट ने कहा.धोखाधड़ी संस्थाओं के खिलाफ निवेशकों की रक्षा के लिए की जरूरत पर जोर देते हुए मंत्री जी ने समाचार पत्रों में फर्जी और चिट फंड कंपनियो के विज्ञापन नहीं लगाने को कहा। उन्होंने कहा की ये विज्ञापन एक अहम् भूमिका निभत है समाचार पत्रों को  अवैध कंपनियों से प्रदत्त विज्ञापन नहीं देना चाहिए-पायलट।
Source : MLM News India & PTI

A strong rules for ponzi scheme by government

A strong rules for ponzi scheme by government
 22 May 2013(Source : Jagran News)
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। पोंजी स्कीमों में आम निवेशकों के हजारों करोड़ रुपये लुटने के बाद अब सरकार मान रही है कि ऐसा रेगुलेशन की कमजोरियों के चलते हुआ। सरकार इसे रोकने के लिए ज्यादा सशक्त कानून बनाने की कोशिश कर रही है।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि वित्तीय क्षेत्र वैधानिक सुधार आयोग की सिफारिशों को लागू कर फाइनेंशियल सेक्टर की कमजोरियों को खत्म करने की कोशिश की जाएगी। चिदंबरम का मानना है कि नियामकों की संख्या ज्यादा होने से किसी भी सिस्टम में खामियां बढ़ती हैं और अधिकार क्षेत्र के विवाद होते हैं। कौन सी स्कीम किस नियामक के दायरे में आएगी इसे लेकर काफी भ्रम पैदा हो रहा है। इसके चलते कई बार गंभीर मामलों को हल करने में काफी समय लग जाता है।
उन्होंने कहा कि आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए वित्त मंत्रालय में अलग से व्यवस्था की जाएगी। सभी नियामक, संबंधित विभागों और जानकारों के सुझावों पर गौर किया जाएगा। वित्त मंत्री के मुताबिक इसके लिए नया कानून पारित करना होगा और लोगों को ट्रेनिंग देनी होगी। मौजूदा सिस्टम से नए सिस्टम की तरफ जाना एक बड़ी चुनौती होगी।
भारतीय वित्तीय कानून विषय पर एक सेमिनार को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार को ऐसा वित्तीय कानूनी ढांचा तैयार करना होगा जो अगले 50 साल की जरूरतों को पूरा करता हो। उन्होंने लोकसभा से हाल ही में पारित नए कंपनी कानून का हवाला देते हुए कहा कि अभी इसे राज्यसभा से पारित होना बाकी है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में शेयर बाजार नियामक सेबी और बीमा नियामक इरडा को आपस में मिला कर एक यूनिफाइड फाइनेंशियल एजेंसी [यूएफए] के गठन की सिफारिश की है। आयोग के मुताबिक रिजर्व बैंक की भूमिका को सिर्फ बैंकों के नियमन और मौद्रिक नीति के प्रबंधन तक सीमित कर देना चाहिए।

Govt cracksdown on chit funds; proposes ban for MLM cos

Govt cracksdown on chit funds; proposes ban for MLM cos

The government is moving to ban multi-level marketing (MLM companies through an amendment to The Prize Chits and Money Circulation Schemes (Banning) Act, 1978. The proposal has been mooted by the department of financial services and is likely to be fast tracked considering the seriousness of the chit fund scam, an issue that was discussed by the standing committee of finance on Friday. CNBC-TV18’s Siddharth Zarabi reports.


The chit fund mess has a lot of details coming out , but the first big scam of this kind was Speak Asia. When the government and every agency concerned tried to figure out whether Speak Asia was even regulated or entitled to operate in India, it discovered that the Singapore-based company was out of reach of almost every Indian agency and law.

Given what has happened with Saradha Group and others, the department of financial services and the department of economic affairs (DEA) which has concurred that this proposal finally moots a specific amendment which will ban MLM companies from operating in India.

When will this be operationalised, the legal amendment will have to go through the Parliamentary route and will be tabled for Cabinet approval which will come up shortly. However, in some ways this is the biggest regulatory loophole beyond what has been reported in the collective investment scheme — a mess that has been dogging India for so many years and is proposed to be closed.

With regards to chit fund mess, the parliament standing committee headed by Yashwant Sinha on Friday, grilled the entire finance ministry brass led by the finance secretary almost a day long hearing and the details that are coming out.

Details that have been shared including, central board of direct taxes (CBDT) findings that there is massive tax evasion in Calcutta based chit funds and this is not a recent discovery. Two years were assessed by the IT department in Calcutta, reports were sent to almost every agency concerned in India, nothing happened, yet the Saradha scam broke.

In the Saradha scam, the IT department has confessed to the standing committee that it has not been able to obtain the details as the West Bengal police and other authorities have refused access. All this paints a situation where the government is yet to come to grips with the chit fund issue but the key news will be that it may be doomsday for companies like Speak Asia very shortly.

Source : Times of  India(http://economictimes.indiatimes.com), 17th may 2013

एमएलएम लीडर्स ने आत्महत्या के लिए आवेदन किया

 एमएलएम लीडर्स ने आत्महत्या के लिए आवेदन किया
पश्चिम बंगाल, उड़ीसा एवं देश के कई अन्य इलाकों में शारदा, रोजवैली और ऐसी ही कई बड़ी कंपनियों के खिलाफ हुई कार्रवाई के बाद बेरोजगार हुए लगभग 400 एमएलएम लीडर्स ने आत्महत्या के लिए आवेदन किया है। अलग अलग शहरों से एवं अलग अलग शब्दों में इन कंपनियों के लीडर्स ने भारत के राष्ट्रपति, अपने राज्य के राज्यपाल, डीएम एवं अन्य पदों पर बैठे अधिकारियों के सामने अपनी परेशानी बयां की है।
अपने आवेदनों में लीडर्स ने बताया है कि किस तरह से उन्होंने अच्छी एज्यूकेशन पूरी की परंतु जब बात नौकरी की आई तो सरकार का रवैया ही कुछ और था। कई राज्यों में तो वर्षों बाद भी वेटिंग लिस्ट खत्म नहीं हुईं हैं। बिना सेटिंग और मोटी रिश्वत के मात्र योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरी के सपने देखना भी पाप हो गया है।
ऐसे में मरते क्या ना करते, अत: उन्होंने प्राइवेट कंपनियों में काम किया। अब वो कंपनियां यदि फर्जी थीं या उनका प्लान फरार हो जाने का था तो इसमें वो लीडर्स तो शामिल नहीं थे, ​जो उनके साथ जुड़कर कुछ छोटे से कमीशन के लिए मेहनत किया करते हैं।
कंपनियों के बंद हो जाने के बाद कहीं पुलिस को कहीं निवेशक लीडर्स पर प्रेशर क्रिएट कर रहे हैं। इधर तनाव बरकरार है और उधर नई नौकरी की दरकार, कुछ समझ नहीं आ रहा है और भविष्य पूरी तरह से अंधकारमय हो गया है। इसी के चलते वर्षों से काम कर रहे इन कंपनियों के लीडर्स इच्छामृत्यु के आवेदन भेजे हैं।
Source: MLM Newspaper

Update about Direct Selling Industry,15 may 2013











Direct Selling कंपनियों को भी अब SEBI से Licence लेना जरूरी हो सकता है... Direct Selling Industry में काम करनेवालों के सुरक्षित भविष्य के लिए ये अच्छी खबर है... *Source :“CNBC आवाज़ TV News” 10May2013, 9pm.
Source: RCM Kraanti

Many illegal Chit Fund companies are active in West Bengal













 Source: Parimal Bhattacharjee

हाईकोर्ट ने जारी की 33 MP चिटफंड कंपनियों की लिस्ट, दिए CBI जाँच के आदेश

हाईकोर्ट ने जारी की 33 MP चिटफंड कंपनियों की लिस्ट, दिए CBI जाँच के आदेश
उत्तर प्रदेश की एकमात्र कंपनी कल्पतरु की ही तरह मध्य प्रदेश में ऐसी 33 कम्पनियां है जिन पर हाईकोर्ट ने तो चाबुक चलाया लेकिन उपरोक्त सभी विभाग और राज्य सरकार उनके जख्मों पर मलहम लगाकर उन्हें काम की पूरी छूट दे रही है। इन कंपनियों के लिस्ट पर नज़र डालते ही साफ़ हो जाता है कि ये कंपनिया अपने मूल धंधे से अलग हटकर सरकार की नाक के नीचे ही लोगो की गाढ़ी कमाई को कैसे हड़प रही है। कोई कंपनी डेवलपिंग के नाम पर तो कोई मार्केटिंग के नाम पर अपना धंधा चला रही है। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने जिन कंपनियों के सीबीआई जांच के आदेश दिए उनके नाम निम्न है।
1- मध्य प्रदेश लोक विकास फाइनेंस लिमिटेड
2 - समृद्धा जीवन फूड्स इंडिया लिमिटेड
3 - गरिमा रियल एस्टेट एंड एलायड
4 - सक्षम डेयरी इंडिया लिमिटेड
5 - ग्रीन फिंगर्स एग्रो लैंड मेंटेनेन्स प्राइवेट लिमिटेड
6 - रायल सन मार्केटिंग एंड इंश्योरेंस सर्विस
7 - स्काई लार्क लैंड डेवलपर्स एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर इंडिया लिमिटेड
8 - आधुनिक हाउसिंग डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड
9 - जीवन सुरभि डेयरी एंड एलायड
10-परिवार डेयरी एंड एलायड लिमिटेड
11- JSV डेवलपर्स इंडिया लिमिटेड
12- KMJ लैंड डेवलपर्स इंडिया लिमिटेड
13- सन इंडिया रीड एस्टेट 14- मधुर रियल एस्टेट एंड एलायड
15- BPN रियल एस्टेट एंड एलायड
16- KBCL प्राइवेट लिमिटेड
17- G N लैंड डेवलपर्स
18- किम फ़यूचर विजन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स लिमिटेड
19- P A C L इंडिया लिमिटेड
20- M K D लैंड डेवलपर्स इंडिया लिमिटेड
21- कमल इंडिया रीड एस्टेट एंड एलायड लिमिटेड
22- सार्थक इंडिया लिमिटेड
23- R B N रियल एस्टेट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंडिया लिमिटेड
24- साईं प्रसाद फ़ूड इंडिया लिमिटेड, साई प्रसाद प्रापर्टीज
25- गालव लीजिंग एंड फाइनेंस लिमिटेड
26- G C A मार्केटिंग लिमिटेड
27- चन्द्रलोक फिनवेस्ट प्राइवेट लिमिटेड
28- स्टेट सिटिज़न सख सहकारी मार्या
29- मधुर टूरिस्म एंड मर्केंटाइल प्राइवेट लिमिटेड
30- मधुर डेयरी एंड एलायड लिमिटेड
31- रायल सन मार्केटिंग

कभी छोटे मोटे धंधे करके अपनी जीविका चलाने वाले इन कंपनियों के मालिक आज हज़ारों करोडो में खेल रहे है। ऐसी ही एक कंपनी है सक्षम डेयरी इंडिया लिमिटेड और जीवन सुरभि डेयरी एंड एलायड जिनका पहले दूध का व्यवसाय था आज इन कंपनियों ने चिट फंड के बिजनेस में मध्यप्रदेश और आस पास के राज्यों में अपना ऐसा मकड़जाल फैला रखा है जिसमें फंसकर आम आदमी धीरे धीरे अपने मेहनत की कमाई को लुटा रहा है। मध्य प्रदेश में कुकुरमुत्ते की तरह उगी इन कंपनियों ने जहा आम आदमी को धता बताया वही सरकार को भी अपनी पाकेट में रखा।
सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा इनकी जाँच कर रही है लेकिन कैसे कर रही है इसकी जांच कोई नहीं कर रहा । ग्वालियर की हाईकोर्ट बेंच जब भी फटकार लगाती है तब जांच के नाम पर कंपनियों के खाते सील कर दिए जाते है, कंपनिया कुछ दिनों के लिए काम बंद करती है फिर पुराने ढर्रे पर वापस आ जाती है। ऐसी ही एक कंपनी है उत्तर प्रदेश से स्थापित की गई कल्पतरु जो मथुरा शहर से संचालित होती है और इसका नाम है केबीसीएल इंडिया लिमिटेड, 'कल्पतरु'| वर्ष 2002 में रजिस्ट्रार आफ कंपनीज, उत्तर प्रदेश के कानपुर कार्यालय से एक पब्लिक लिमिटेड फार्म का सर्टिफिकेट और आईएसओ नंबर हासिल करे वाली कल्पतरु कंपनी अपने निवेशकों को उनका पैसा दोगुने से साढ़े तीन गुना करने के सपने दिखाती है| इसके अलावा कल्पतरु कंपनी ने देश के 14 राज्यों में सौ से अधिक कार्यालय भी खोल रखे है|

एमएलएम पर आ रहा हैं सरकारी नियंत्रण

एमएलएम पर आ रहा हैं सरकारी नियंत्रण
भारत सरकार इन दिनों एमएलएम रिलेटेड इन्वेस्टमेंट प्लान को लाइसेंस देने पर विचार कर रही है एवं ऐसी सभी कंपनियों को सेबी के अधीन कर दिया जाएगा। सनद रहे कि अभी तक सेबी का कोई नियामक नहीं है।
यदि यह नई व्यवस्था लागू हुई तो सेबी से लाइसेंस लिए बगैर कलेक्टिव इंवेस्टमेंट एमएलएम स्कीम लॉन्च करने पर 10 साल तक की कैद हो सकती है। यह सबकुछ इसलिए किया जा रहा है ताकि आम जनता को शारदा जैसी कंपनियों के हाथों लुटने से बचाया जा सके।
एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक इसके लिए सरकार प्राइज चिट एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम बैनिंग एक्ट में बड़े पैमाने पर फेरबदल करने जा रही है। मल्टी लेवल मार्केटिंग और कलेक्टिव इंवेस्टमेंट स्कीम को सेबी के दायरे में लाया जाएगा और इनके लिए सेबी से लाइसेंस लेना जरूरी होगा।
बदलावों के बाद गुड्स और सर्विसेज की डायरेक्ट मार्केटिंग मल्टी लेवल मार्केटिंग मानी जाएगी। कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम के लिए भी सेबी का लाइसेंस जरूरी होगा। सदस्यों के जरिए निवेशक बनाए जाने वाली स्कीमों को कलेक्टिव स्कीम माना जाएगा। बिना लाइसेंस के कारोबार करने पर 10 साल तक की कैद के साथ-साथ कुल निवेश रकम का दोगुना जुर्माना लगाया जाएगा।
इसके अलावा सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) को ज्यादा अधिकार दिए जाएंगे। एसएफआईओ को मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कीम और कलेक्टिव इंवेस्टमेंट स्कीम की छानबीन और पुलिस के साथ तालमेल की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

Biggest Chit fund scam in West Bengal

April 23, 2013
by Partho Sarathi Ray

The collapse of the chit fund company, Saradha group, is having major repercussions all over Bengal. Over the last two days, thousands of their depositors and agents have been staging protests in front of their offices all over the state, and many of the offices and real estate properties have been attacked and destroyed by desperate agents. Roads have been blocked in many places and there have been pitched battles with the police. Then the protests had moved to the home of the chief minister Mamata Banerjee, considered to be one of the major patrons of the company, where they were lathicharged and around 45 arrested. Then they protested in front of the Trinamool Congress headquarters but have been removed from there too. The agents are in dire conditions as they cannot even go back to their localities as the depositors who have lost their money are waiting there for them. Two agents have already committed suicide, in Diamond Harbour and Durgapur, and heart-rending scenes of devastated depositors are being witnessed everywhere.
The chit fund business, which has been going on for the last decade, has shown a phenomenal increase over the last two years, the total number going up from 65 to 135 during this period. These are all owned by small-time Bengali enterpreuners, who started in the real estate business, and then moved to the chit fund business with direct political links helping them in the process. Many of them had connections with the CPI(M) when the Left Front was in power (the nephew of Amitava Nandi, an influential party leader from North 24 Parganas is the owner of one), but ever since the TMC came to power, their influence and reach have increased exponentially. The close ties of these businesses with the ruling TMC, starting from Mamata Banerjee onwards, have allowed them to expand their business phenomenally and flout every financial norm and regulation. Among these, the three major were Saradha group, Rose Valley and MPS. The money they gained in the chit fund business was pumped into all types of other businesses such as real estate, hotels and media.
The Saradha group, owned by Sudipta Sen who has now disappeared after writing a 18 page letter to the CBI accusing many leaders of the TMC and the Congress of being in his payroll, apparently has bought thousands of acres of land all over Bengal, with the help of local TMC leaders. One of their major real estate development sites, off Diamond Harbour road in South 24 Parganas, reportedly was a recreational centre for political leaders, business tycoons and media barons. Their media business, consisting of Bengali, Hindi and Urdu newspapers and three TV channels were consistent and vocal supporters of the TMC and the government. Among the seven newspapers, which the Mamata government ordered public libraries in West Bengal to subscribe to, four belonged to the Saradha group. The chief editor of their Bengali newspaper, and the main public face of the group, Kunal Ghosh was made into a Rajya Sabha MP by the TMC. Today, he is claiming that he was “only a salaried employee” of the company. These newspapers, and the TV channel Channel 10, constantly vilified all opponents against the government and made baseless accusations against many of them. Shatabdi Roy, another TMC MP, was the brand ambassador of the group. Madan Mitra, the transport and sports minister, is the leader of the employees union. Mamata herself inaugarated their Urdu daily Kalam in a glittering function. Sudipta Sen was a major buyer of Mamata’s paintings, the last one was bought for Rs 1 crore 86 lakhs. Today Mamata Banerjee and the TMC is desperate to show their distance from the Saradha group but in the peoples’ eyes they are closely identified with them. And this had allowed the company also to leverage their proximity to the ruling party to gain peoples’ trust and draw more investment into their chit fund scheme. Also, at least three letters from the PMO to the West Bengal government over the last one year, asking for the government to check the activities of the Saradha group, were disregarded, allowing them a free hand to go about their business. A bill passed by the West Bengal assembly during the Left Front rule to regulate the activities of the chit funds is languishing for presidential assent for the last three years. All these shows the extent of the connivance of this upcoming bourgeois class with the ruling party and its leaders, and the way the government has been subservient to their interests. There are even whisperings that the meetings between the representatives of the CPI(Maoist) and the government interlocutors were held in the resort owned by one such company on the outskirts of Jhargram.
The activities of these chit funds have also adversely affected the government small savings schemes, such as the post-office based schemes, where the government has also cut down the interest rates and where the investment has gone down from Rs 12000 crore two years back to Rs 1500 crore only, whereas companies such as Saradha has seen investment of Rs 22000 crore in the same period, all of which has now disappeared ruining 2.5 lakh investors in the process.

Source: Sanghati

चिटफंड कम्पनियों के बिषय पर सेबी का परामर्श

चिटफंड कम्पनियों के बिषय पर सेबी का परामर्श
बाज़ार नियामक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह चिटफंड कम्पनियों के लिए एक अलग नियामक बनाने हेतु कानून तैयार करे। ताकि निवेशकों को ठगी से बचाया जा सके। यह बात सेबी के एक अधिकारी ने कोलकाता में भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कही। देशभर में फैलती चिटफंड कम्पनियों के बारे में सवाल करने पर सेबी अध्यक्ष यू के सिन्हा ने कहा " हमने ऐसी कम्पनियों के लिए अलग नियामक बनाने के लिए कानून बनाने का केंद्र सरकार से आग्रह किया है।" सेबी का मानना है की ऐसी कम्पनिया कानून में खामी का फ़ायदा उठाती है। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि " हमने यह मामला सरकार के समक्ष उठाया है, और कानून में व्याप्त खामियों को दूर करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि " जब लोगों से कहा जाता है की उनका धन चार साल में दोगुना हो सकता है तो वह निवेश कर देते है, कुछ समय लाभ मिलने के बाद यह लाभ मिलना बंद हो जाता है। यह बहुत चिंताजनक स्थिति है। ऐसी कम्पनियाँ अपने एजेन्टों को 15 से 25 फीसदी कमीशन भी देती है। ऐसा कोई कारोबार नहीं हो सकता है, जहाँ लोग इस तरह का लाभ अर्जित करते हों।"
Source: MlmNewsPaper

MLM Info : सेबी के नाम से ठगने वालों से बचें

MLM Info : सेबी के नाम से ठगने वालों से बचें
सेबी के अधिकारी के नाम से फोन करके निवेशकों को चूना लगा रहे हैं लोग- पूँजी बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया SEBI (सेबी ) ने निवेशकों व आम लोगों को सावधान किया है कि वह सेबी अधिकारीयों का नाम लेकर कॉल करने वाले फ्रौड लोगों से बचकर रहें। ऐसे लोग अपने फायदे के लिए निवेशकों को गुमराह कर रहे हैं।हल के दिनों में इस तरह की बहुत सारी घटनाएँ सामने आई हैं, जिनमे निवेशकों को कॉल करने वाला खुद को सेबी या अन्य किसी रेगुलेटर का अधिकारी बताता है और किसी विशेष स्कीम या शेयर में निवेश करने की सलाह देता है। इस तरह की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर भारतीय रिज़र्व बैंक (आरआई ) व बीमा नियमन एवं विकास प्राधिकरण (इरडा ) ने भी निवेशकों के लिए चेतावनी जारी की थी। सेबी ने एक सार्वजनिक सूचना में कहा है कि सेबी न तो किसी स्कीम या शेयर में निवेश की सलाह देता है और न ही किसी स्कीम को लेने की सिफारिश करता है। साथ ही, सेबी  कभी भी निवेशकों से उनकी व्यक्तिगत जानकारी नहीं मांगता है।
Source :Mlm News Paper

नाम बदलकर कारोबार करने वाली कम्पनियों की मंशा पर लगेगा अंकुश

नाम बदलकर कारोबार करने वाली कम्पनियों की मंशा पर लगेगा अंकुश
आम जनता से अवैध ढंग से धन उगाही करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियो (चिटफंड कम्पनी ) द्वारा नाम बदलकर कारोबार करने की सूचना को जिला प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। कलेक्टर श्री पी नरहरि ने इन के खिलाफ कड़ा शिकंजा कसने की हिदायत  विभागीय अधिकारीयों को  दी ही है साथ ही सर्वसाधारण से भी इसमें सहयोग माँगा है। कलेक्टर श्री पी नरहरि ने सर्वसाधारण से चिटफंड कम्पनियों की गतिविधियों के सम्बन्ध में जानकारी मांगी है। उन्होंने कहा की यह जानकारी कलेक्टर ग्वालियर ओहदपुर सिटी सेंटर के पते पर डाक से या उनके ई मेल पर भेजी जा सकती है। श्री नरहरि ने आम जनता से अपील की है कि यदि उनके आस-पास के गली,मोहल्ले, वार्ड,नगर तथा ग्राम में किसी चिटफंड कम्पनी कार्यालय संचालित कर धनराशि को एक निश्चित समयावधि में दोगुना तिगुना करने का झांसा दे रही हो तो उसकी सूचना अवश्य दें। साथ ही इन गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों द्वारा अन्य प्रकार के प्रलोभन दिए जा रहे हों तो उन्हें भी जिला प्रशासन के ध्यान में लाए। कलेक्टर ने ऐसी कम्पनियों के नाम, उन्हें संचालित करने वाले का नाम व पता तथा कारोबार की जानकारी जनता से मांगी है। उल्लेखनीय है कि भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति बगैर अवैध ढंग से जनता से धन उगाही करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों के खिलाफ ग्वालियर जिले में सख्त कार्यवाही की गई थी। इस कार्यवाही को मध्यप्रदेश निक्षेपकों के हितों का संरक्षण  अधिनियम तथा अन्य प्रावधानों के तहत अंजाम दिया गया था। पुलिस द्वारा इन चिटफंड कम्पनियों के खिलाफ भारतीय दंड विधान,मध्यप्रदेश निक्षेपकों के हितों का संरक्षण  अधिनियम एवं प्राइज चिट्स व मनी सर्क्युलेशन स्कीम (बेनिंग) के तहत आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किये गए है।
Source: Mlm News Paper