बाजार नियामक सेबी (सेक्यूरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड आफ इंडिया) ने आज सहारा
समूह की दो कंपनियों के सौ से ज्यादा बैंक एकाउंट को फ्रीज कर दिया. साथ
ही इन दोनों कंपनियों के लेन-देन पर भी रोक लगा दी है. इन दोनों कंपनियों
की गैर-नगदी संपत्तियों को भी फ्रीज कर दिया गया है.
कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में सेबी को यह अधिकार दिया था
कि वह सहारा की दो कंपनियों (सहारा इंडिया रीयल इस्टेट कार्पोरेशन और सहारा
हाउसिंग इनवेस्टमेंट कार्पोरेशन) से संबंधित बैंक एकाउंट को फ्रीज कर सकती
है. सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश सहारा की लेटलतीफी और निवेशकों को पैसे
लौटाने में टाल-मटोल को देखते हुए आया था.
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा की इन दोनों कंपनियों द्वारा जनता से लिए गए चौबीस
सौ करोड़ रुपये को पंद्रह फीसदी ब्याज समेत लौटाने का आदेश दिया था. कोर्ट
के इस आदेश की अवहेलना कर सहारा जानबूझ कर जनता को पैसे लौटाने में
टाल-मटोल कर रहा था.
क्या है मामला
24,000 करोड़ रुपये 15% ब्याज समेत रिफंड किए जाने हैं सहारा ग्रुप द्वारा
तकरीबन 3 करोड़ निवेशकों को
निवेश कहां - निवेशकों ने पसा लगाया है सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन में
सुप्रीम कोर्ट का फरमान
5,120 करोड़ रुपये का डिमांड ड्राफ्ट तत्काल सेबी के पास जमा करे सहारा
ग्रुप
10,120 करोड़ रुपये की पहली किस्त की अदायगी जनवरी, 2013 के पहले सप्ताह
तक करनी होगी, शेष रकम का भुगतान फरवरी 2013 के पहले सप्ताह तक करना होगा
सहारा को
दिलचस्प है कि सुप्रीम कोर्ट ने 6 फरवरी को कहा था कि सेबी सहारा के खातों
को सीज करने को लेकर आजाद है। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने इस राशि के
रिफंड को लेकर बाजार नियामक सेबी द्वारा दायर की गई अवमानना याचिका पर
सुनवाई करते हुए सहारा ग्रुप को नोटिस जारी किया।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त, 2012 को दिए अपने आदेश में सेबी
से सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट
कॉरपोरेशन के बैंक खातों को फ्रीज करने और उनकी प्रापर्टी को जब्त करने को
कहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 'हमारे आदेश की अवज्ञा किए जाने के मद्देनजर
सहारा ग्रुप की दो कंपनियों के खातों को फ्रीज करने के साथ-साथ उनकी
प्रॉपर्टी को जब्त करने के लिए सेबी आजाद है।' ये दो कंपनियां हैं-सहारा
इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन।
शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही सेबी की खिंचाई इस बात को लेकर की है कि बाजार
नियामक ने उसके आदेश के बावजूद उपर्युक्त दोनों कंपनियों के खिलाफ कोई
कार्रवाई नहीं की है।
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा ग्रुप को नोटिस भेजकर चार हफ्तों के भीतर यह जवाब
देने को कहा है कि क्यों न उसके आदेश की अवज्ञा किए जाने के कारण समूह की
इन दोनों कंपनियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू की जाए।
दिलचस्प है कि 5 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सहारा रिफंड केस में एक अहम
फैसला सुनाया था। कोर्ट ने सहारा समूह को अपने निवेशकों को फरवरी 2013 तक
किश्तों में पैसा वापस लौटाने का निर्देश दिया है। लौटाई जाने वाली राशि
24000 करोड़ रुपये था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सहारा समूह अपने निवेशकों के पैसे सात फरवरी
तक चुकाए। फिलहाल 5120 करोड़ रुपये चुकाए और बाकी रकम दो किश्तों में
निवेशकों को लौटाए।
प्रधान न्यायाधीश अलतमस कबीर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सहारा को इसका
जबाव देने के लिए एक दिन और मोहलत दी। पहले उन्हें न्यायालय को पैसा लौटाने
के बारे में बताना था। सहारा समूह इस मसले पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए
अतिरिक्त समय चाहता था।
सहारा समूह को न्यायालय ने 4 दिसंबर को निर्देश दिया था कि वह निवेशकों का
धन लौटाने के मसले पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे।
न्यायाधीशों ने शीर्ष अदालत के निर्णय के बावजूद निवेशकों को धन लौटाने के
मामले में ढुलमुल रवैये को लेकर सहारा समूह को आड़े हाथ लेते हुए कहा था
कि चूंकि उसने न्यायालय के आदेश पर अमल नहीं किया है, इसलिए उसकी बात सुनी
नहीं जा सकती है। लेकिन बाद में न्यायालय निवेशकों का धन लौटाने के सवाल पर
सहारा समूह के अनुरोध को सुनने के लिए तैयार हो गया था।
न्यायालय ने सहारा इंडिया रियल इस्टेट कापरेरेशन लि और सहारा हाउसिंग
इंवेस्टमेन्ट कापरेरेशन को स्पष्ट करने का निर्देश दिया था कि क्या वे एक
सप्ताह के भीतर निवेशकों को उनकी सारी रकम लौटा सकेंगे।
Dainik Bhaskar
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