मेहनत की कामाई की सुरक्षा के उपाय

देश में बड़े पैमाने पर फाइनेंस के क्षेत्र में संभावनाओं के साथ विकल्प बढ़े रहे हैं। फाइनेंस के क्षेत्र का दायरा बढ़ने के साथ ही लोगों के पास निवेश करने के साथ-साथ पैसे बचाने के विकल्प बढ़ते जा रहे हैं। हालांकि फाइनेंस का दायरा बढ़ने के साथ कुछ गलत चीजें भी अपने पांव पसारने लगी हैं। आए दिन हम अखबरों में पढ़ते हैं कि वित्तीय घोटाले का मामला सामने आया है। इस पेशकश का मकसद यही है कि हम अपने मूल्यवान और मेहनत से कमाए हुई गाढ़ी कमाई की रक्षा कैसे करें। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर आनंद सिन्हा का कहना है कि आरबीआई में रजिस्टर्ड नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन (एनबीएफसी) और बैंकों की निगरानी आरबीआ द्वारा की जाती है। आम लोगों को सलाह है कि पैसे डिपॉजिट करने से पहले जांच लें कि जहां आप निवेश करने जा रहे हैं वो एनबीएफसी, आरबीआई में रजिस्टर्ड है और उसे जनता से डिपॉजिट लेने की मंजूरी है या नहीं। www.rbi.org.in/permittednbfcs पर आरबीआई में रजिस्टर्ड सभी एनबीएफसी कंपनियों की जानकारी उपलब्ध है। सेबी के चेयरमैन यू के सिन्हा का कहना है कि कलेक्टिव इंवेस्टमेंट स्कीम वाली कंपनियों को सेबी के साथ रजिस्टर्ड होना जरूरी है। सेबी से जुड़ी शिकायतों के लिए आप टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 1800-622-7575, 1800-22-7575, साथ ही सेबी में ऑनलाइन शिकायत के लिए www.scores.gov.in पर शिकायत करें। सेबी की इन्वेस्टर एजुकेशन वेबसाइट http://investor.sebi.gov.in पर जरूर लॉनइन करें। अगर पता न हो कि किस मामले की शिकायत कि नियामक के पास करनी है तो ऐसे में आरबीआई या सेबी में से किसी के भी पास शिकायत की जा सकती है। शिकायत के मुताबिक संबंधित नियामक शिकायत पर कार्रवाई कर सकता है। मर्चेंट बैंकिंग कंपनियां, वेंचर कैपिटल फंड्स, स्टॉक ब्रोकिंग कंपनियां, सामूहिक निवेश वाली कंपनियां या योजनाओं और राज्स सरकार - चिट फंड कंपनियां से संबंधित शिकायतों के लिए सेबी में शिकायत कर सकते हैं। इंश्योरेंस कंपनियों के लिए आईआरडीए में शिकायत करें, नॉन बैंकिंग और नॉन फाइनेंशियल कंपनियों के लिए कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय में शिकायत करें। यहां जमाकर्ताओं के लिए एक जरूरी जानकारी देना चाहेंगे कि ज्यादा रिटर्न यानि ज्यादा जोखिम होता है। आरबीआई नियमों के मुताबिक एनबीएफसी कंपनियां 12.5 फीसदी से ज्यादा रिटर्न नहीं दे सकती हैं। वहीं सट्टेबाजी में रिटर्न की गारंटी नहीं होती है। गैर-पंजीकृत, पार्टनरशिप और प्रोपराइटरी कंपनियां आम जनता से डिपॉजिट नहीं ले सकती हैं। ऑनलाइन डिपॉजिट स्कीम्स की ऊंची ब्याज दर और मुनाफे के झांसे में न आएं। मल्टीलेवल मार्केटिंग स्कीम्स के ज्यादा रिटर्न की लालच में न फंसे।
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